चित्त प्रवाह!?

शिव्य - शिव्या शब्द कभी भी अभी तक दिमाग में नहीं आये थे।

अचानक यह क्या?

04 फरबरी 2023 ई0!!
सुबह का वक्त,घनी रात्रि थी। हम ध्यान में ही थे।
अंतर्चेतना में अचानक गूंजना कि -"शिव्य प्रकाश अंदर .... शिव्या का प्रकाश हमारे अंदर!!"

उफ़,यह क्या?!

मालिक!!आप हमसे क्या करवाना चाहते हो? हम क्यों।नहीं उसके लिए संकल्पित,दृढ़,व्रत में नहीं हो पाते? हम।देख रहे हैं अपने में उस दिव्यता की दस्तक लेकिन...?!

रविदास की पूर्व संध्या पर अब हम रविदास जी प्रति चिंन्तन में थे।






23 जनवरी 2023 ई0 की सुबह/रात्रि में  श्वेत प्रकाश के मध्य तीब्र तेज पीला प्रकाश दिखना और इसके बाद अब हर वक्त माथे पर दोनों भौहों के बीज स्पंदन।

13 से 23 जनवरी 2023 ई0 तक का समय हमारे अंतर्जगत के लिए वरदान साबित हुआ है। यह हम कह तो रहे हैं लेकिन जीवन का हर पल महत्वपूर्ण हॉट है।क्योंकि कोई बड़ी घटना घटित यूं ही अचानक नहीं घटती।उसके लिए कुदरत में।तैयारियां पहले से ही घटित होने लगती हैं। इससे पूर्व क्या 09 से 12 जनवरी 2023 ई0 का समय क्या खास नहीं थी?जो हर साल खास होता है।इस बार मालिक की विशेष ही कृपा रही है।हम समय को  भौतिक व मानसिक विभिन्न उतार चढ़ाव के मद्देनजर विभिन्न कह खंडों में बांट लेते हैं कि यह समय या दिन या माह या वर्ष अच्छा रहा,यह बुर लेकिन अंतर्मन की गहराई में जब हम पहुंचते है तो देखते हैं कि हर समय तो एक ही सी स्थिति है।यह लहरें तो ऊपर ऊपर हैं,सागर में। इससे पहले भी 01,02,03 जनवरी 2023 को हम शाहजहांपुर आश्रम में सपरिवार रहे,पोलैरिटी प्रशिक्षण में वे दिन बेहतर थे। फिर 04,05,06,07,08 जनवरी....?! शारीरिक अस्वस्थता को यदि एक तरफ रख दें तो अंतर्जगत में हम क्या हैं? वही सब अंदर अंदर चलता हुआ हमारी कोशिशों के साथ। और 21 से 27 दिसम्बर 2022 को गुरुगोविंद सिंह व उनके बच्चों को लेकर चिंन्तन मनन के साथ वीर रस में रहना या फिर कहना कि फिजिकल डिस्टनसिंग में रह सिर्फ आत्मा के अघोषित साहस में रहना या कहें कि आत्मा रूप अनन्तमुखी द्वार में होना। 28,29,30 व 31 जनवरी को 01,02 व 03 जनवरी की तैयारी में रहना।

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3 Comments

बहुत ही उम्दा सृजन

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Alka jain

01-Mar-2023 07:47 PM

Nice 👍🏼

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